मानव जीवन की सुरक्षा हेतु पर्यावरण को बचाना अति आवश्यक – बीके शशिप्रभा …

बिलासपुर  कोटमी सोनार ब्रह्माकुमारीज़ प्रभु-अनुराग भवन में विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया l राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा दीदी नें साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण संवर्धन और विकास का संकल्प लिया जाता है। यूनाइटेड नेशंस इनवायरमेंटल प्रोग्राम अर्थात संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारंभ 5 जून 1972 को कन्या के नैरोबी शहर में हुआ था। इस कार्यक्रम का प्रारंभ नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने तथा प्रकृति की सुरक्षा हेतु आत्म चेतना जागृत करने के उद्देश्य से किया गया। इसी उद्देश्य के अंतर्गत प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित किया जाता हैl पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़ाने पर्यावरण संरक्षण हेतु आवश्यक कदम उठाने पर्यावरण प्रदूषण के निवारण व नियंत्रण हेतु जागृति के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयास के रूप में विश्व पर्यावरण दिवस पर अनेकों कार्यक्रम का आयोजन हर वर्ष किया जाता है lजिसमें वृक्ष लगाना,पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम, ऊर्जा संरक्षण,जल संरक्षण,पर्यावरण को बचाने हेतु अनेक कार्यशालाएं,सेमिनार आयोजित किए जाते हैं l पर्यावरण और अध्यात्म का बहुत गहरा संबंध है–

भारतीय संस्कृति पर्यावरण के साथ बहुत नजदीकी से जुड़ी हुई है। हमारी जीवन शैली सदैव ही पर्यावरण मित्र शैली रही है जो कि पर्यावरण संरक्षण का कार्य स्वतः करती है परंतु वर्तमान समय में हम प्रकृति से बहुत दूर चले गए हैं और प्रकृति तथा अध्यात्म का समन्वय भी बिगड़ गया है जिसके फल स्वरुप प्रकृति के पांच तत्वों का विध्वंसक रूप भी देखने को मिल रहा है प्रकृति हमें संदेश दे रही है कि अब यह जागने का समय है प्रकृति के साथ संबंध जोड़कर उसे देव तुल्य स्वरूप में मानने की परंपरा आधुनिक युग में भी जीवित रखनें की आवश्यकता हैं ।
दीदी जी ने आगे कहा कि परी और आवरण से मिलकर पर्यावरण बनता है पर्यावरण में जल,धरती,पशु, पक्षी, जंगल और मानव सभ्यता सभी समाविष्ट हैं पर्यावरण से मानव का जीवन संभव है यदि पर्यावरण सुरक्षित नहीं तो मानव जीवन भी नहीं। इसलिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखनाआवश्यक है यह पर्यावरण हमारे संकल्पना को सुनती है हम जो सोचते हैं जो करते हैं प्रकृति पर इसका गहरा असर होता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण सन 2004 में जो सुनामी आया उस समय पशु पक्षी जानवर बहुत दूर सुरक्षित स्थान पर 48 घंटे ही पहले निकल गए थे लेकिन हम मनुष्य आत्माएं जो पांच इंद्रियों पर निर्भर हैं वह कुछ पल पहले भी नहीं जान पाए। जबकि प्रकृति के समीप जुड़े हुए जीव जंतु पशु पक्षी जानवर जिनके पास सिक्स सेंस है वह हर आगामी घटनाओं को पूर्व से ही परख लेते हैं और अपना बचाव कर लेते हैं इसलिए प्रकृति पुरुष और परमात्मा का घनिष्ठ संबंध है हम सभी को अपने जीवन में यथार्थता को समझना है प्रकृति को सुरक्षित करने का दृढ़ संकल्प लेना है और उसे दृढ़ता पूर्वक पालन करना है।
इस अवसर पर प्रभु अनुराग भवन में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने उपस्थित हुए ग्राम कोटमीसुनार, अकलतरी, पोड़ी, मधुआ के ग्रामवासियों ने पर्यावरण की सुरक्षा हेतु प्रतिज्ञा कर उसे दृढ़ता से पालन करने का संकल्प लिया और सभी ग्राम वासियों ने अपने प्रत्येक जन्मदिन पर एक पौधा अवश्य लगाने का भी संकल्प लिया l कार्यक्रम के अंत में उपस्थित समस्त ग्राम वासियों ने प्रकृति को सकारात्मक प्रकम्पन पहुंचने राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास किया कामेंट्री के द्वारा ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा ने राजयोग मेडिटेशन कराकर प्रकृति के पांचो तत्वों को मर्ज कर उन्हें योग द्वारा शांति व पवित्रता के प्रकंपन पहुंचाएं l इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी श्यामा व देहुती, कृषि विस्तारक अधिकारी बलौदा क्षेत्र सुरेश साहू, रमेश तंबोली, भूपेंद्र साहू, टीकाराम केंवट, रामकुमार साहू सहित भारी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *